Shiv chalisa in hindi | श्री शिव चालीसा हिंदी में

शिव जी की आरती आरती हिंदी में: ॐ जय शिव ओंकारा

देवों के देव ‘महादेव’ यानी भगवान शिव की साधना या पूजा हमें हर दुख और भय से मुक्ति दिलाती है. हिंदू धर्म में महादेव की साधना करने से सुख एवं समृद्धि पाई जा सकती है. अगर आप सही तरीके से शिव चालीसा का पाठक करते हैं तो आपको भगवान शिव की असीम कृपा और चमत्कारी लाभ प्राप्त होगा. शिव चालीसा का सही तरीके से उच्चारण करते हुए रोजाना पाठ करने से भक्तों के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा बनी होती है.

Shiv chalisa in hindi | श्री शिव चालीसा हिंदी में


Shiv chalisa in hindi | श्री शिव चालीसा हिंदी में

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

Shiv chalisa in hindi | श्री शिव चालीसा हिंदी में

मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

Shiv chalisa in hindi | श्री शिव चालीसा हिंदी में

किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

Shiv chalisa in hindi | श्री शिव चालीसा हिंदी में

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

Shiv chalisa in hindi | श्री शिव चालीसा हिंदी में

एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥

Shiv chalisa in hindi | श्री शिव चालीसा हिंदी में

मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

Shiv chalisa in hindi | श्री शिव चालीसा हिंदी में

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा ।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥


शिव जी की आरती आरती हिंदी में: ॐ जय शिव ओंकारा

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥


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शिव चालीसा का महत्व

शिव चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। शिव की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। शिव के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। शिव अलौकिक शक्ति के मालिक है, उनकी कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है।


शिव आरती करने की विधि –
1. सर्वप्रथम आरती के लिए पीतल या तांबे की थाली ले, थाली में एक पानी का लोटा, अर्पित किए जाने वाले फूल, कुमकुम, चावल, दीपक, धूप, कर्पूर, धुला हुआ वस्त्र, घंटी, आरती संग्रह की किताब रख ले।

2. थाली में रखे दीपक में घी डालकर उसे प्रज्वलित करें, साथ ही कर्पूर को भी प्रज्वलित करें।

3. आरती अपनी बांई ओर से शुरू करके दाईं ओर ले जाना चाहिए, अर्थात घड़ी की दिशा के अनुसार घूमना चाहिए।

4. अलग-अलग देवी-देवताओं के सामने दीपक को घुमाने की संख्या भी अलग है, भगवान शिव के सामने थाली को 3 या 5 बार घुमाये।

5. आरती के दौरान om jai shiv omkara aarti गाएं और गायक या समूह को समर्थन करें।

6. भगवान शिव की आरती हो जाने के बाद लोटे में रखे जल को थाली के चारों ओर घुमाया जाना चाहिए, इससे आरती शांत होती है।

7. Shiv aarti सम्पन्न हो जाने के बाद भक्तों को आरती दी जाती है। आरती भक्तों को हमेशा अपने दाईं ओर से दी जानी चाहिए।

8. इसके बाद सभी भक्त आरती लेते हैं। आरती लेते समय भक्त अपने दोनों हाथों को नीचे से उलटा कर जोड़ते हैं और आरती पर से घुमा कर अपने माथे पर लगाते हैं।

9. जब आरती समाप्त हो जाए, तब दीपक को प्रदक्षिणा दें और उसे फिर अपनी पूजा स्थल पर रखें।


Shiv Aarti कब करनी चाहिए –
Shiv aarti मुख्यत: साप्ताहिक दिन सोमवार, मासिक त्रियोदशी तथा प्रमुख दो शिवरात्रियों को की जाती है। आरती दिन में एक से पांच बार की जा सकती है। घरों में सुबह-शाम दो बार आरती की जाती है।

आरती दीपक से क्यों करते है-
दीपक में घी की बाती जलाई जाती है और घी समृद्धि प्रदान करता है, रुखापन दूर कर सौम्यता प्रदान करता है। भगवान को अर्पित किए गए घी के दीपक का मतलब है कि जितनी सौम्यता इस घी में है, उतनी ही सौम्यता से हमारे जीवन के सभी अच्छे कार्य बनते रहे।

आरती में शंख और घंटा क्यों बजाते है–
आरती में बजने वाले शंख और घंटी की ध्वनि मधुर होती है, जिससे मन में चल रहे विचारों की उथल-पुथल कम होती जाती है तथा शरीर का रोम-रोम खिल जाता है, जिससे शरीर और ऊर्जावान बनता है।

आरती के दौरान कर्पूर क्यों जलाते है –
कर्पूर की सुगंध तेजी से वायुमंडल में फैलती है, जिससे ब्रह्मांड में मौजूद सकारात्मक शक्तियां (दैवीय शक्तियां) आकर्षित होती है और नकारत्मक उर्जा भाग जाती है।

पूजा के बाद क्यों जरूरी है आरती –
बिना आरती के कोई भी पूजा अपूर्ण मानी जाती है। इसलिए पूजा शुरू करने से पहले लोग आरती की थाल सजाकर बैठते हैं। पूजा में आरती का इतना महत्व क्यों हैं, इसका उत्तर स्कंद पुराण में मिलता है। इस पुराण में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता, लेकिन आरती कर लेता है तो भगवान उसकी पूजा को पूर्णता: स्वीकार कर लेते हैं।


किसी भी देवी-देवता की आरती के बाद कर्पूरगौरम् करुणावतारम…मंत्र ही क्यों बोला जाता है –

इसके पीछे कई रहस्य छिपे हुए हैं। भगवान शिव की यह स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय भगवान विष्णु द्वारा गायी हुई मानी जाती है। कहा जाता है कि शिव शमशान में रहने वाले है, उनका रुप भयंकर और अघोरी जैसा है। लेकिन, ये स्तुति बताती है कि उनका रूप बहुत दिव्य है। शिव को पशुपतिनाथ भी कहते है, पशुपति का अर्थ है संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित) उन सभी का अधिपति। ये स्तुति इसी कारण से गायी जाती है कि जो इस समस्त संसार का अधिपति है, वो हमारे मन में निवास करे। शिव श्मशान में रहने वाले हैं, जो मृत्यु के भय का निवारण करते हैं।इसलिए हम चाहते है की हमारे मन में शिव निवास करें, जिससे मृत्यु का भय दूर हो।



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